कहते हैं कि भारत को क़रीब से देखना हे तो भारत के गाँवों को देखो ।
लेकिन ऐसा क्या हे जो गाँव की तरफ़ जाने का रुख़ किया जाए , वही गंदगी ,कीचड़
अनपढ़ ज़ाहिल लोग ,,, ये सब अब बदल रहा हे जबसे सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत हुई हे ,और आपको आज ले चलता हुँ छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव मोहलाई में जहाँ मैंने गाँव की अवोहवा को बदलते देखा ,,
मुम्बई से रायपुर की दूरी हवा में पुरी की और उसके बाद क़रीब ४५ किमी की दूरी कार से ,, और दुर्ग के सरकारी सर्किट हाउस में समान रखा ।
और कुछ देर में हम सब वापिस गाँव की तरफ़ चल दिए ,
मन में कई सवाल क्या वाक़ई गाँव बदल रहा हे
और इस गाँव को गोद लिया था मोतीलाल वोरा जी ने रास्ते में जाते हुए एक बोर्ड पर उनका नाम लिखा हुआ था ।
गाँव की हद में जैसे ही क़दम रखा रोड के दोनों तरफ़ कही गंदगी का नमोनिशान नहीं था ।
हमारी कार गाँव की गलियों से होती हुई सीघा पंचायत भवन के सामने रूकी जहाँ पर गाँव के सरपंच ने हमारा स्वागत किया, जिनका नाम भरत निषाद एक दम जवान उम्र होगी क़रीब तीस के आस पास
गाँव की पक्की सड़क और वहाँ का माहौल ख़ुद व ख़ुद अपनी कहानी बयां कर रहे थे।
तभी गाँव के सरपंच ने चाय पानी का प्रबन्ध कर दिया ।
पंचायत भवन के अंदर कम्पुयटर और वाई फ़ाई का भी प्रबन्ध था । और उस कम्पुयटर पर मैंने देखा की कुछ सी,सी ,टी वी कैमरों की तस्वीर आ रही थी
सरपंच की तरफ़ जैसे ही मैंने देखा । वो समझ गये कि हम क्या जनना चाहते हें
ये आप जो सी सी टी वी की तस्वीर देख रहे दरअसल ये हमारे गाँव के स्कुल की हैं
लेकिन इसको लगाने से क्या फ़ायदा हे
जब से ये कैमरे लगे है मास्टर टाईम पर आने लगे है और पढ़ाई भी ठीक होने लगी और तो और हमको सब पता चलता हे कि स्कुल मै क्या हो रहा हे ।
तभी सरपंच जी ने हम सब को बोला लंच का भी समय हो रहा हे आप सबका आज का खाना इसी स्कुल में हे।
और हम सब स्कुल के अंदर थे।
साफ़ सुथरा स्कुल सारे बच्चे स्कुल की ड्रेस में जैसे ही क्लास में क़दम रखा की सारे बच्चों ने खड़े हो कर हमको गुडऑफ्टर नून बोला ,,
बच्चों को जवाब दिया और बाक़ी क्लास की तरफ़ चल दिया
स्कुल की दिवारों पर ज्ञान की ढेर सारी बातें लिखी हुई थी ।
तभी घंटी बजने की आवाज़ सुनाई दी मालूम चला कि बच्चों का खाने का समय हो गया ।
मन ने सवाल किया क्यों न स्कुल की रसोई को भी देखा जाए
साफ़ सुथरी रसोई और ताज़ा पकता खाना मेरे मुहं में भी पानी आ गया
कुछ पल के लिए में अपने आप को अपने बचपन के स्कुल की तरफ़ चला गया जहाँ मुझे भी हफ़्ते में एक दिन दलिया मिला करता था ।
तभी मुझे मेरे साथी ने आवाज़ दी की बच्चे अपने हाथो को घो रहे हे
मै रसोई से निकल कर उस तरफ़ चल दिया जहाँ सारे बच्चे लाइन में लगे हुए थे ।
और फिर स्कुल के गलियारे में सभी बच्चों को खाना परोसा गया
स्वाद था खाने में क्योंकि हमने भी वही मिड डे मील खाया ।
सच सांसद आदर्श ग्राम बदल रहा हे
गाँव में हर घर में शौचालय कोई भी गाँव के बहार शौच को नहीं जाता हे ये हमको सरपंच ने बताया ।
और क़रीब तीन दिनों में हमको कोईनजर नहीं आया
जब हमने गाँव में रहने वाली एक औरत से पुछा की क्या बदलाव हुआ हे जब से गाँव को गोद लिया हे
तो प्यारी ने बोला जो कि उसका नाम था
कि जब शौचालय नहीं था तो बरसात हो या कोई भी समय बहार ही जाना हे शरम भी आती थी ।
और गदंगी सी बीमारी भी लेकिन अब न तो गंदगी हे और न ही मच्छर और मक्खी
गाँव में सौ प्रतिशत शौचालय हे और ये सब गाँव के हर शख़्स ने सरकार के साथ मिलकर पुरा किया हे
सरकार ने ग़रीब तबके हर व्यक्ति को क़रीब १२००० रू दिए जिससे आज हर घर में शौचालय हे ।
प्यारी कहती हे जो कि उस गाँव में रहती हे कि जब से हर घर में शौचालय बन गएे है मक्खी और मच्छर भी नहीं हे
जिससे अब बीमारी भी नहीं होती हे ।
प्यारी तो ये समझ गई लेकिन शहर के पढ़े लिखे लोग कब समझेंगे
सरकार और आम आदमी अगर जुड़ जाए तो गाँव क्या शहर की भी समस्या हल हो जाए।
गाँव के सरपंच ने सरकार के साथ मिलकर हर घर को दो - दो डस्टबीन दिए जिसमें कचरा डाला जाता हे और हर रोज़ सुबह ट्रेक्टर आता हे हर घर के सामने सीटी बजाता हे और कचरा ले जाता हे जिससे जैविक खाद बनती हे और जिसको जला सकते हे जला देते हें ।
यहाँ गाँव के लोगों का संकल्प हे जिसे शहर के लोग नहीं निभा पाते हे उनको तो लगता हे मोदी आएगा और उनकी गली मोहल्ला साफ़ करेगा वाह रे शहरी आदमी तुझ से तो अच्छे गाँव के मानुस हैं
सरकार की इन्हीं योजना में एक सोलर ऊर्जा का उपयोग हे जिससे गाँव बालों ने दो बड़ी सी पानी की टंकी लगाई हैं जिसका पानी २४ घंटे गाँव बालों को मिलता हे और पेड़ पौधों को भी ।
सरकार की आँगनबाडी योजना में मैंने जो देखा वो भी कम क़ाबिले तारीफ़ नहीं हे
अन्न प्रसन्न योजना गाँव के वो बच्चा जो कि अभी पैदा हुआ हे। उनकी माँ और बच्चे को आंगनबाड़ी में अन्न खिलाया जाता हे और तो और जिनकी बेटियाँ हे उनको सरकार एक मुस्त कुछ रक़म देती हे जो कि उस बालिका के बड़े होने पर मिलती हे सच ये थोड़ा थोड़ा कर के गाँव शहर से ज़्यादा तरक़्क़ी तर रहे हे
आंगनबाड़ी में छोटे बच्चों को पढ़ाने का ढंग भी बहुत ख़ूब साफ़ सुथरे कपड़ों में सारे बच्चे बहुत प्यारे लग रहे थे।
गाँव में रहने वाले कुछ बुज़ुर्गों से पुछा कि जब से गाँव सांसद आदर्श योजना से जुड़ा हे तो क्या गाँव में बदलाव हुआ हे ।
इतना पुछना था की सभी के चेहरों पर चमक आ गई ।
हाँ बदलाव हुआ हे सड़क बन गई पानी आ गयो और गाँव में अब कोई शराब भी नहीं पीता हे ।
तभी एक बुज़ुर्ग ने कहा गाँव के नाम के साथ अगर आदर्श जुड़ जाए तो गाँव के हर व्यक्ति को ख़ुद में भी आदर्श बनना पड़ता हे।
सही बात कही थी । मैंने सोचा क्यों न गाँव का एक चक्कर लगाया जाए
और सरपंच से बात की सरपंच जी ने हमको एक बाईक दे दी और उसको चलाने वाला आदमी फिर क्या हम गाँव की गलियों की तरफ़ चल दिए साफ़ गलियाँ तभी देखा एक माँ अपने बच्चे को स्कुल भेज रही थी ।
मैंने अपनी बाईक को वहाँ पर रोक लिया और माँ बेटे के कुछ शॉट लिए तभी मैंने उस औरत के घर के बाहर लिखा देखा कि इंदिरा आवास योजना ,,
मैंने उस औरत से पुछा कि क्या ये घर आपको सरकार ने दिया ।
हाँ मेरा घर तो मिट्टी का था बरसात में बहुत परेशानी होती थी ।लेकिन एक दिन सरपंच जी आए और उनके साथ एक और जन थे ।
उन्होंने हमें इंदिरा आवास योजना की जानकारी दी सारे पेपर लिए और सरकार की तरफ़ से पैसा मिला और आज हमारा पक्का घर हे अब चाहे सर्दी हो या बरसात कोई दिक़्क़त नहीं कहते कहते उस औरत ने सरपंच और उस आदमी को ढेर सारी दुआएँ दे डाली ।।
हम एक बाक फिर से गाँव की गलियों में चल दिए ।
सच सरकार गाँव के विकास के लिए क्या कुछ नहीं करती हे ।
लेकिन उसको सजों कर रखना उस गाँव के लोगों पर बनता हे ।
तभी उस गाँव की गली में मैंने एक नर्स को जाते देखा जो कि अपने साथ दो औरतों को लेकर जा रही थी ।
मन नहीं माना पुछ लिया कि कहाँ जा रही है
एक गर्भवती महिला के घर जा रहे हे नर्स ने चलते चलते ही बोला
मैंने भी साथ चलने की बात और चल दिया उस घर में जा कर उस नर्स ने एक महिला का चेकअप किया पूरा और पूरी जानकारी दी ,क्या खाना हे क्या नहीं और ज़ोर दे कर बोला कि जब बच्चा हो तो सरकारी अस्पताल में ज़रूर जाना , उस औरत ने हाँ बोला मैं जब ये सब देख रहा था ,
मुझे लगा सच गाँव बदल रहा हे ,
लेकिन मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि शहर कब बदलेंगे ।
जब आप मुम्बई की तरफ़ आओ तो रेलगाड़ी मै जब आप होते हो तो पटरियों पर दोनों तरफ़ आपको गंदगी और लोग शौच करते नज़र आएँगे ।
लेकिन स्वच्छ भारत गाँव में नज़र आता हे
जब मै बहुत छोटा था और अपने गाँव जाता था एक ही तालाब था और गाँव के लगभग सभी लोग उस तालाब में नहाते थे और उसी में गाँव के जानवर भी और तो और शौच से निवृत्त हो कर लोग उसी तालाब में साफ़ भी करते थे
सोचो उस तालाब का पानी कितनी बीमारियों का घर होगा ,
लेकिन आज जब इस गाँव में देखा तो तालाब दो थे , लेकिन अलग अलग , आदमियों के लिए अलग और जानवरों के लिए अलग ,
सच हर गाँव का सरपंच अगर निषाद जैसा हो तो गाँव को शहर बनने मै वक़्त नहीं लगता हे
और इस सब मैं सरकार भी पूरी इमानदारी के साथ लग जाए तो सोने पे सुहागा
आज मोहालाई गाँव आदर्श गाँव हे और वहाँ के रहने वाले लोगों की सोच आदर्श ,
लेकिन किसी गाँव या शहर में रहने वाले हर व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता हे न कि किसी एक व्यक्ति पर ,
ज़िम्मेदारी सामूहिक होती है न कि किसी एक की,
फिर इंतज़ार कैसा आज से ही आप अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की शुरुआत कर सकते हैं और अपने गाँव शहर को बदल सकते हे
क्योंकि हर गाँव बदल रहा हे
नीरज तिवारी